वार्ड रचनेमुळे मुस्लिम नगरसेवक अडचणीत

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औरंगाबाद:-  नवीन  वॉर्ड  पुनर्रचने  मूळे एप्रिल  20 मध्ये  होणाऱ्या  महापालिका  निवडणुक  अनेक  दिग्गजांना  जड जाणार  आहे. विशेष  करून  जुन्या  औरंगाबाद  शहरातील  आजी  माजी  व  इच्छूक  नागरसेवकांचे  चांगलेच  धाबे  दणाणले   आहे. नवीन  वॉर्ड रचने मुळे जुन्या   सदस्यांना  पुन्हा  निवडून  येणे  शक्य  दिसत  नाही. त्या  मुळे अनेक  मुस्लिम  नेत्यांनी  वॉर्ड  रचना  प्रक्रियेलाच  आवाहन   देण्याचे  ठरविले  आहे.

 एप्रिल    2020 मध्ये  होणाऱ्या  महानगर  पालिका  निवडणुकी  साठी  काढण्यात  आलेल्या  सोडती  मध्ये  जाणूनबुजून  चुका  करण्यात  आल्याचा  आरोप  करण्यात  येत  आहे. नवीन  वॉर्ड  रचना  तयार  करतांना  जुन्या  औरंगाबादेतील  मुस्लिम  वॉर्डांची  चांगलीच  फोडाफाडी  करण्यात  आली. नैसर्गिक  निकष  लागू  न करता  मनमानी  पद्धतीने  तसेच महापालिकेत  मुस्लिम  नेतृत्वाला  संपविण्याचा  डाव  रचण्यात  आल्याचा  आरोप  अनेक  आजी  माजी  पदाधिकाऱ्यांनी  लावला. नवीन  वॉर्ड  रचणे  मुळे तब्बल  दहा  मुस्लिम  वॉर्ड  कमी  होण्याची  शक्यता  आहे. अनेक  वॉर्डांना तीन  ते  चार  वॉर्डात  विभागणी  करण्यात  आल्याने  जुन्या  वॉर्डांची  ओळखच  संपली  आहे. वॉर्ड नो  नंबर  56, मकसूद  कालोनी 42, शताब्दीनगर  27,  नेहरू  नगर 26, शताब्दीनगर  हर्षनगर व  चेलीपुरा, हे  वॉर्ड संपल्यातच  जमा  आहे. हमालवाडा  रेल्वे  स्टेशन  101 व  आरेफ कालोनी वॉर्ड   न. 12 येथे  मुस्लिम  लोकसंख्या  जास्त  असतांनाही  हे  वॉर्ड  अनुसूचित  जाती  साठी  राखीव  ठेवण्यात  आले.

 जुन्या  शहरातील ओळख  असणाऱ्या  व  अति   संवेदनशील  मानण्यात  येणाऱ्या  लोटकारंजा  व  रोशनगेट  वॉर्डांची मोडतोड  करून  त्यांची  विभागणी  करण्यात  आली. रोशनगेट, लोटकारंजा, किराडपुरा, शाहबाजार  हे  वॉर्ड  महापालिका  अस्तित्वात  आल्या  पासून  स्वतंत्र  वॉर्ड  होते. मात्र  मनपातील  जुन्या  अधिकाऱ्यांनी या  वॉर्डांचे  अस्तित्वातच  संपविण्याचा  डाव  खेळला. लोटकारंजा  वॉर्ड  नाव  देण्यात  आले  मात्र  या  वॉर्डात  सत्तर  टक्के  लोकसंख्या  हर्षनगर  विश्वासनगर  भागातील  आहे. मुळात  लोटकारंजा  मर्कज चौक  याला विश्वासनगर  चेलीपुरा  वॉर्डात  समावेश  करण्यात  आला. हा  वॉर्ड  अनुसूचित  जमाती  महिला साठी  राखीव ठेवण्यात  आले. जुन्या  अल्तमश  कॉलनीचा अधिकांश  भाग  इंदिरानगर  बायजीपुरा  पश्चिम  मध्ये  टाकण्यात  आले. हा  वार्ड  ही अनुसूचित  जमातीसाठी  राखीव  आहे. सर्वसाधारण  महिला  साठी  राखीव  असलेल्या  बारी कॉलनी  वार्डाला तर  चक्क  कैसर  कॉलनी वॉर्ड  पर्यंत  जोडण्यात  आले. 2005 व  2010 च्या  निवडणुकी  पूर्वी   वार्ड  रचना  केल्या  नंतर  त्याचे नकाशे  ठळक  पणे पालिकेत  लावले  जायचे. आक्षेप  मागविला  नंतर  त्रुटी  दूर  केल्या  नंतर   वार्डांची  अधिकृत  घोषणा करण्यात  केली  जात  असे. या  वेळी  अगोदर वॉर्ड  रचना  करून   घोषणा  केली  व  नंतर  आक्षेप  मागविण्यात  आले. ज्या  पद्धतीने  वार्डांची  मोडतोड  झाली  त्यामुळे  आजी  माजी  मुस्लिम  नागरसेवकांचे धाबे  दणाणले  आहे.

ही मुस्लिम  नेत्यांची  चूक
माजी  महापौर
 रशीद  मामू 
 पालिका  प्रशासन  वार्ड  रचना  करत  असतांना  सर्व  नेत्यांना  कल्पना  होती. मुस्लिम  नेत्यांनी  या  कडे  का  पाठ  फिरवली?  दुसऱ्या  पक्षांच्या  नेत्यावर  आरोप  लावण्या  पेक्षा  आपण  झोपलो  होतो का? हे  स्वतःला  प्रश्न  विचारला  पाहिजे. एकदा  निवडणूक  प्रक्रिया  सुरु  झाल्यास  कोर्टात  जाऊन  ही उपयोग  नाही.